किस गली में सुकून है यहाँ,
हर गली से गुज़र के देख लें...
मन मनाता है किसी बात पे हमे,
आज हर बात से मुकर के देख लें...
वो कहते हैं हम बिगाड़ते हैं बात को,
आज उनकी ख़ातिर सुधर के देख लें...
बेअसर नज़र आती है मेरी कोशिशें ,
आज उनकी कोशिश के असर को देख लें...
बातों से समझाकर देख लिया बहुत,
आज क्यूँ न हम चुप होकर देख लें...
बीच भंवर में रहती आई हूँ अब तक,
चलो आज किनारे के कहर को देख लें..
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