तुम मेरे हो पर तेरा अहसास क्यों नहीं,
जब दिल में हो तो मेरे पास क्यों नहीं,
वीरानों में अब हमें किसकी तलाश है,
मिलने की उसके फिर भी आस क्यों नहीं,
गम कुछ इस कदर शामिल हैं जिन्दगी में,
कोई ख़ुशी भी अब हमें रास क्यों नहीं,
तेरे दिल से मेरे दिल तक एक है रास्ता,
फिर भी मेरा दिल तेरे लिए खास क्यों नहीं,
माना की तुम मेरी मुहब्बत की पहचान हो,
पर मेरे दिल को अब तलक विश्वास क्यों नही
No comments:
Post a Comment