अंजामे इश्क वक्त ने समझाया इस तरह
चुटकी में ले के ख़ाक मेरे सर पे डाल दी .........
ये आग घर की लगी है तो क्या ताज्जुब
गयी थी रौशनी मुझसे मेरा पता लेकर ..........
आदतें आप की मिलती हैं फरिश्तों से बहुत
खुद को मुमकिन हो तो लोगों से बचाते रहिये.........
दर और दरीचों के लिए सोंच रहा है
वो कांच की बुनियाद पे दीवार उठा कर .......
जिसमे पासंग न हो ऐसी तराजू लाओ
जिन्दगी झूठ को अब और नहीं तोलेगी ............
ये भी क्या है हारते रहते हो आपने आप से
प्यार के इस खेल में दिल भी तो हारा कीजिये ..
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