Wednesday, November 17, 2010

तुम मेरी याद हो मेरे पास आओ तो कोई बात बने

तुम मेरी याद हो मेरे पास आओ तो कोई बात बने
तुम मेरी जान हो यूँ ज़िंदगी में आओ तो कोई बात बने

तुम्हारी याद में गुज़रा हर लमहा मेरे दिन को महकता है
खुशबू बनके मेरी सांसों को महकाओ तो कोई बात बने

मैं दुनिया की नही करता परवाह तुमको जब याद करता हूँ
कभी तुम भी रुसवायियों को गले से लगाओ तो कोई बात बने


दुश्मनों को तुम्हारे बारे मे यूँ बताना अच्छा नही लगता
कभी ख़ुद भी आओ मेरे हाल पे हंस जाओ तो कोई बात बने

कभी रूठा नही हूँ तुमसे मैं इस तरह से की
मैं तुमसे रूठ जाऊं और तुम मुझको मनाओ तो कोई बात बने

हमेशा खुदा से ही तुमको माँगा है शाम और सुबह
दुआ को हाथ उठाएं और सामने तुम्हे पाएं तो कोई बात बने

तेरी चाह रुकती नही है और याद का दरिया बह जाता है
कभी तुम भी इसमे डूब जाओ तो कोई बात बने

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