कभी जब मैं यूँ ही तन्हा बैठता हूँ ..
और अचानक ही पुरानी यादों की
बारिशें,
बूँद बनकर टप-टप गिरती हैं
तो....
मेरे जेहन में बेतरतीब से ख्याल
आने लगते हैं...
और मेरी कलम,
कागज़ पे लफ्ज़ उकेरने को मचलने लगती है....
तब मैं जो भी कुछ कहता हूँ...
उन्हें सिर्फ ये उन्वान देता हूँ.......
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