Monday, December 6, 2010

मेरे मुह पर ये सुनेहरा-लाल

मेरे मुह पर ये सुनेहरा-लाल 


आचल रहने दे

अच्छा लगता है आँखों में ये 



काजल रहने दे


मेरे दिल में मत कर तलाश ये 



दुनिया-दारी

मुझे दिल्ली का वही आवारा 



पागल रहने दे


अपने इस दिल में मुझे जगह भी 



ना दे अब

मुझे वही बरसता, भटकता, बादल रहने दे

चंद रोज बाद बहुत दूर चला जाऊगा तुझसे


मेरे पास भी फुरसत के एक-दो पल रहने दे

बेदिल माहे-सितम्बर की ये अठरा तारीख है


कहाँ जाएगा तू घर को छोड़ कर चल रहने दे

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